
संसद में अमित शाह का तीखा हमला: कांग्रेस पर सवालों से भागने का आरोप, नेहरू-इंदिरा का भी किया जिक्र"
आज संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विस्तार से बयान देते हुए विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सुरक्षा, आतंकवाद और ऐतिहासिक विदेश नीति संबंधी फैसलों पर कांग्रेस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए।
शाह ने कहा कि जब 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए पोटा कानून (POTA) लागू किया, तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया और मजबूरी में सरकार को संयुक्त सत्र बुलाकर कानून पास कराना पड़ा। लेकिन कांग्रेस ने 2004 में सत्ता में आते ही इस कानून को रद्द कर दिया, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिला। उन्होंने पूछा, "कांग्रेस बताये कि पोटा कानून हटाकर वह किसका भला कर रही थी?"
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि पोटा हटने के बाद देश में कई बड़े आतंकी हमले हुए जिनमें सैकड़ों नागरिक और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। "आपने क्या किया? बस डोज़ियर भेजते रहे पाकिस्तान को," शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा।
चीन के संदर्भ में शाह ने 1962 के युद्ध और उसके बाद की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने राष्ट्रीय हितों से समझौता किया। उन्होंने पंडित नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा, "30 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि चीन को दे दी गई और उसे यह कहकर नज़रअंदाज़ किया गया कि वहां घास तक नहीं उगती।"
उन्होंने राहुल गांधी और राजीव गांधी फाउंडेशन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब भारत के सैनिक सीमा पर चीन से आंख में आंख मिलाकर खड़े थे, तब कांग्रेस नेता चीन के अधिकारियों से गुप्त बैठकें कर रहे थे।
पाकिस्तान पर बोलते हुए शाह ने 1948, 1965 और 1971 के युद्धों का संदर्भ देते हुए कहा कि बार-बार कांग्रेस ने भारत की सामरिक बढ़त को खो दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की ऐतिहासिक गलतियों के कारण ही आज पीओके भारत का हिस्सा नहीं बन सका।
शाह ने यह भी कहा कि "जब देश के पूर्व गृहमंत्री यह कहते हैं कि पाकिस्तान ने हमला नहीं किया, तो सवाल उठता है कि क्या उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार है?"
अपने वक्तव्य का अंत करते हुए गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में कोई समझौता नहीं करेगी, और देश को कमजोर करने वाले किसी भी विचार या पार्टी का मुखर विरोध करती रहेगी